सरल और स्पष्ट शब्दों में बनाया जाना चाहिए कानून का ड्राफ्ट : अमित शाह

Update: 2023-05-15 14:03 GMT
नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग को भारतीय लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग बताते हुए कहा है कि कानून का ड्राफ्ट यथासंभव सरल और स्पष्ट शब्दों में बनाया जाना चाहिए क्योंकि इस नियम को अपनाए बिना बनाया गया कानून हमेशा विवाद पैदा करता है। उन्होंने कहा कि शब्दों में कानून जितना सरल और स्पष्ट होता है, उतना ही वह निर्विवाद रहता है। शाह ने आगे कहा कि ऐसा कानून बनाना जिसमें अदालत को दखल देने की जरूरत न पड़े, एक अच्छे कानून का ड्राफ्ट तैयार करने का तमगा है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सरल और स्पष्ट भाषा में कानून का ड्राफ्ट तैयार करना होना चाहिए।
अमित शाह ने सोमवार को संसद भवन परिसर में आयोजित लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग को लेकर आयोजित 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यह भी कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग कोई विज्ञान या कला नहीं है, बल्कि एक कौशल है जिसे स्पिरिट के साथ जोड़कर लागू करना है, जिसमें ग्रे एरिया को मिनिमाइज करने पर हमेशा ध्यान देना चाहिए और कानून सुस्पष्ट होना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग हमारे लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है, इसके बारे में जानकारी का अभाव ना केवल कानूनों और पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को निर्बल करता है बल्कि ज्यूडिश्यिरी के कार्यों को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इसके स्किल में समयानुसार बदलाव, बढ़ोत्तरी और अधिक दक्षता होती रहनी चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने संसद को सरकार का सबसे शक्तिशाली अंग बताते हुए कहा कि इसकी ताकत कानून है। लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग किसी भी देश को अच्छे तरीके से चलाने की सबसे महत्वपूर्ण विधा है। संसद और लोगों की इच्छा को कानून में ट्रांस्लेट करते समय संविधान, लोगों के रीति-रिवाज, संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, शासन व्यवस्था की संरचना, समाज की प्रकृति, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय संधियां जैसी बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होता है।
शाह ने मोदी सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद हजारों अप्रासंगिक कानूनों को निरस्त करने के बारे में बोलते हुए यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सरकार ने कानून के क्षेत्र में काफी काम किया है और 2015 से अब तक सरकार ने हजारों अप्रासंगिक कानूनों को निरस्त करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वकीलों, समाज और अदालतों को कानूनों के जंगल से मुक्त कराने का काम किया है। शाह ने यह भी जोड़ा कि कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देशहित में समय के अनुरूप कई कानून भी बनाए हैं।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक समाज में कानूनों का बहुत महत्व होता है इसलिए विधानों को स्पष्ट बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब कार्यान्वयन और व्याख्या की बात आती है, तो इससे समय और संसाधनों की बचत होती है। प्रारूपकारों से कानूनों का मसौदा तैयार करते समय सावधान रहने का आग्रह करते हुए, उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि प्रारूपकारों को विधायी प्रारूपण संबंधी अपने ज्ञान को नियमित रूप से अद्यतन करते रहना चाहिए । बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि विधानों की भाषा सरल और स्पष्ट हो। कानून का ड्राफ्ट बनाने वाले लोगों को विधेयक को पेश करने से संबंधित निर्धारित प्रक्रिया से अवगत होना चाहिए और साथ ही सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट और सरल भाषा में कानून का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए।
बिरला ने नियमावली के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि नियम बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कानून बनाना। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि लोक सभा सचिवालय लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग और नियम तैयार करने संबंधी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के क्षमता निर्माण के उपायों से संसद में बेहतर बहस और चर्चा में मदद मिलेगी जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा। इसके साथ ही उन्होंने संसद में रचनात्मक और सकारात्मक चर्चा की भी अपील करते हुए कहा कि लोकतंत्र में बहस और चर्चा सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए।
आपको बता दें कि, लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग को लेकर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान द्वारा लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के सहयोग से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य संसद, राज्य की विधान सभाओं, विभिन्न मंत्रालयों, वैधानिक निकायों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के बीच लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग यानी विधायी प्रारूपण के सिद्धांतों और प्रथाओं की समझ पैदा करना है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनकी क्षमता निर्माण में सहायता कर उनके कौशल को बढ़ाने में मदद करेगा। इस कार्यक्रम को ऑनलाइन और ऑफलाइन के हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है।
--आईएएनएस
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