केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा सर्विस चार्ज पर रोक लगाने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि रेस्त्रां और होटल सर्विस चार्ज लेने के बजाय खाने के दाम बढ़ा सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को रेस्टोरेंट में ग्राहकों से अलग शुल्क के रूप में सर्विस चार्ज वसूलने पर तल्ख टिप्पणी की। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा सर्विस चार्ज पर रोक लगाने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि रेस्त्रां और होटल सर्विस चार्ज लेने के बजाय खाने के दाम बढ़ा सकते हैं।
पीठ ने पूछा कि क्या आम आदमी को सर्विस चार्ज (सेवा शुल्क) भुगतान के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। आम आदमी को लगता है कि यह चार्ज सरकार द्वारा वसूला जा रहा है। सेवा शुल्क को ग्राहकों से लेने के बजाए खाने के दाम बढ़ा सकते हैं। इससे अतिरिक्त या सर्विस चार्ज वसूलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि सेवा शुल्क लगाने के संबंध में जानकारी होनी चाहिए, जिसे मेन्यू कार्ड पर लिखा जाना चाहिए। ताकि ग्राहकों को सर्विस चार्ज के बारे में पता चल सके। नेशनल रेस्त्रां एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से कहा गया कि सर्विस चार्ज रेस्त्रां में काम करने वाले कर्मचारियों के लाभ के लिए वसूला जाता है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि अगर रेस्त्रां, होटल को अपने स्टाफ की इतनी ही चिंता है तो उनकी सैलरी बढ़ा दें। कोर्ट इस मामले में 18 को सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि सीसीपीए ने इस संबंध में बीते जुलाई में एक गाइलाइन जारी की थी। नई गाइडलाइन के मुताबिक ग्राहक से मूल कीमत के अलावा कोई वसूली जायज नहीं है। होटल को ग्राहक को जानकारी देनी होगी कि सर्विस चार्ज आपकी मर्जी है।