मुढ़ीपार गौठान में जैविक दवाई निर्माण से बदला नीतू साहू और शैलपुत्री समूह का भाग्य
खैरागढ़: नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में गौठान में गोधन न्याय योजना से स्व-सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न उद्यमों के द्वारा समूह और स्वयं का विकास किया है। इसी क्रम में मुढ़ीपार गौठान में शैलपुत्री स्व-सहायता समूह के द्वारा जैविक दवाई निर्माण और विक्रय किया गया है। जैविक दवाई निर्माण से वे एक ओर प्रकृति को सुधार रही है, वही दूसरी ओर स्वयं को आत्मनिर्भर बना रही है।
जैविक दवाई निर्माण कर नीतू साहू ने सँवारा प्रकृति और स्वयं का भविष्य
खैरागढ़ विकासखंड के ग्राम मुढ़ीपार निवासी, 34 वर्षीय नीतू साहू कक्षा हाईस्कूल तक पढ़ी है। वह शैलपुत्री स्व-सहायता समूह की सक्रिय सदस्य है और ज्योति महिला ग्राम संगठन, मुढ़ीपार से जुड़ी है। समूह एवं ग्राम संगठन से गोधन न्याय योजना के अंतर्गत दस हजार रु. का ऋण लिया है और गौठान में जमीन:- 3.48 एकड़ बहु-गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराया गया था। इससे उन्होंने समूह के सहयोग से उद्यम- जैविक दवाई का निर्माण और विक्रय कार्य किया। नीतू साहू ने बताया कि इस कार्य से मासिक आय लगभग 10 हजार रू.और मासिक व्यय लगभग 3 हजार होता है। अब तक कुल आय 1.42 लाख रू. का हो चुका है। इस कार्य से किसानों को रासायनिक दवाई का विकल्प मिल गया है। इस प्रकार जैविक दवाई निर्माण कर नीतू साहू ने प्रकृति और स्वयं का भविष्य सँवारने का कार्य करके अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी है।गौठानों में विभिन्न आय एवं आजीविका मूलक गतिविधियों के संचालन से महिलाएं स्वावलंबन की राह पर निश्चित रूप से अग्रसर हो रही हैं इन योजनाओं का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि स्थानीय संसाधन से जैविक खेती और जैविक खाद के निर्माण को बढ़ावा दिया जाए।
महिलाओं के विकास हेतु गौठान में संचालित है बहु-गतिविधियाँ- नीतू साहू, हितग्राही
मुढ़ीपार गौठान की सक्रिय सदस्य नीतू साहू ने अपने स्वावलंबन का उदाहरण देते हुए बताया कि महिलाओं के विकास हेतु गौठान में संचालित है बहु-गतिविधियाँ। अन्य समूह और महिलाएं विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर आय मूलक गतिविधियों जैसे मुर्गी पालन,मछली पालन, अन्य गतिविधियों से जुड़कर स्वयं के परिवार एवं अपने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को आर्थिक, सामाजिक उन्नति की ओर बढ़ने हेतु संकल्पित संकल्पित होकर कार्य कर रहे है। केसीजी जिले के गौठानों में महिला स्व.सहायता समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कम्पोस्ट सुपर कम्पोस्ट सुपर कम्पोस्ट प्लस जैसे गुणवत्ता युक्त जैविक खाद बनाये जा रहें है। रासायनिक खाद के बेतरतीब उपयोग से धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। ऐसे में जैविक खाद के प्रचलन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मिशन में ग्रामीण महिलाए भी पीछे नहीं है। दवाईयों का निर्माण स्थानीय संसाधनों से किया गया है तथा निर्माण लागत लगभग नहीं के बराबर है। दवाईयां बिहान के दुकान के माध्यम से विक्रय भी हो रहा है, जिससे यह अतिरिक्त आय का स्त्रोत बन गया है। इस प्रकार यह जिले में गौठानों में महिला सशक्तिकरण के बेमिसाल उदाहरण है।