सारंगढ़ बिलाईगढ़: बरसात के मौसम में प्राकृतिक आपदा के अधिकांश घटना घटती है जैसे आकाशीय बिजली का गिरना, नदी नालों में बाढ़, पेड़ गिरना, फसल क्षति, मकान ढहना, सर्प बिच्छू के काटने डंक से लोगों की मृत्यु होती है। राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदा से मनुष्य, पशु, घर, फसल आदि को होने वाले क्षति के लिए राजस्व और ऊर्जा विभाग (विद्युत कंपनी) के माध्यम से शासकीय कार्यवाही के बाद पीड़ित या उसके परिजन को आर्थिक अनुदान सहायता राशि देने का प्रावधान किया है। सरकारी अनुदान सहायता राशि प्राप्त करने के लिए पीड़ित या उनके परिजनों को घटना के हिसाब से सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज और पुलिस वाले केस में थाना में रिपोर्ट दर्ज करना चाहिए। सरकारी कार्यवाही में इन सभी दस्तावेजों की जरूरत होती है। राजस्व अधिकारियों को प्राकृतिक प्रकोप से हुई हानि का आकलन करने एवं पीड़ितों को सहायता उपलब्ध कराने की कार्रवाई में माननीय जनप्रतिनिधियों का अधिक से अधिक विश्वास एवं सहयोग से पीड़ित तक राशि उपलब्ध कराने का राज्य सरकार का उद्देश्य पूरा होता है।
प्राकृतिक प्रकोपों में, नैसर्गिक विपत्तियों के कारण नदी, तालाब, बांध, नहर, नाला, कुंआ, गड्डे आदि में गिरकर पानी में डूबने से, सर्प, बिच्छू, गुहेरा या मधुमक्खी के काटने से, नाव दुर्घटना से, रसोई गैस सिलेंडर या स्टोव फटने से, खदान धसकने से, लू से, आकाशीय बिजली से, पेड़ या डंगाल के गिरने से, बिजली करंट से, अतिवृष्टि ओला पाला, तुसार, शीतलहर, टिड्डी, बाढ़, सूखा, आंधी, तूफान, भूकंप, भू-स्खलन, बादल का फटना, मिट्टी या बर्फ के पहाड़ों का खिसकना, सुनामी, कीट प्रकोप एवं अग्नि दुर्घटनाओं से जनहानि, पशुहानि और फसल हानि होती है। इन आपदाओं में मृतक व्यक्ति के परिवार के निकटतम वारिस को 4 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। मृत व्यक्ति में बच्चा भी शामिल है। परिवार में एक से अधिक व्यक्ति होने पर वारिस को सहायता अनुदान प्रत्येक मृतक के मान से दे होगा। इसके लिए मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर एसडीएम, तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा घटनास्थल पर शीघ्र पहुंचकर मृत्यु होने एवं उसके कारणों की जांच की जाएगी और डॉक्टर से मृतक का परीक्षण भी तत्काल कराया जाएगा। राज्य के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक आपदा से अपने गृह जिले के अतिरिक्त अन्य जिले में होती है तो मृतक व्यक्ति के परिवार को उसके मूल गृह जिले से अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी मृत्यु स्थल से घटना का सत्यापन प्राप्त कर संबंधित कलेक्टर अनुदान सहायता की स्वीकृति देंगे। आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्य में लगे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मृत्यु होने पर उनके परिवार को भी अनुदान सहायता की पात्रता होगी। राज्य के सीमावर्ती प्रदेशों में उपरोक्त आपदाओं के समय किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस राज्य से घटनास्थल का प्रतिवेदन प्राप्त कर मृत व्यक्ति के मूल निवास जिले में मृतक परिवार को अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी। ऐसे भारतीय नागरिक जो अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लिए हैं या विदेशी नागरिक हो, उनका आपदाओं से मृत्यु होती है तो उनके परिवार को आर्थिक अनुदान सहायता की पात्रता नहीं होगी।
अग्नि दुर्घटना में कृषक की फसल या मकान के जलने से हानि होती है। व्यक्तियों और पशुओं के जल जाने से जनहानि एवं पशुहानि भी होती है। कभी-कभी दुकानों में आग लग जाने से छोटे दुकानदारों को बेरोजगार हो जाना पडता है। प्राकृतिक प्रकोपों से कई मामलों में लोग बेघर हो जाते हैं। कई बार बगैर पूर्व सूचना के बांधों का पानी छोडने से भी निचले क्षेत्रों को क्षति पहुंचती है। इन सब परिस्थितियों में राज्य शासन ने संबंधित पीड़ित को तत्काल अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी 6-4) में प्रावधान किया है, ताकि संबंधित व्यक्ति या उनके परिवार पर आई विपदा का मुकाबला करने के लिए उनमें मनोबल बना रहे और वह अपने परिवार को पुनर्स्थापित कर सके। राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी 6-4) का उद्देश्य पीडितों को तात्कालिक आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है न कि संबंधित को हुई क्षति की पूर्ण प्रतिपूर्ति मुआवजे के रूप में प्रदान करना, किन्तु यह भी आवश्यक है कि ऐसे मामलों में जिनमें किसी प्राकृतिक प्रकोप के कारण लोगों एवं परिवारों को ऐसी हानि हुई, जिसमें वे बेघर एवं बेरोजगार हो गये हैं, वहां पर्याप्त राहत पहुंचाने का प्रावधान है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में क्षेत्र के राजस्व कर्मचारी, जिसके अंतर्गत राजस्व निरीक्षक, पटवारी, पटेल एवं कोटवार शामिल हैं, का कर्तव्य है कि क्षति की तत्काल तहसीलदार / नायब तहसीलदार को प्रदान करें। प्राकृतिक प्रकोप से क्षति केवल किसी कृषक विशेष व्यक्ति विशेष को ही हुई है तो फार्म-एक में आवेदन-पत्र तहसीलदार को दे सकते हैं। व्यापक आपदा के मामले में प्रभावित व्यक्तियों द्वारा आवेदन देना अनिवार्य नही होगा, बल्कि राजस्व कर्मचारी द्वारा स्वप्रेरणा से प्रभावित क्षेत्र का सर्वे कर आर्थिक सहायता हेतु प्रतिवेदन तैयार किये जायेंगे। आवेदन प्रतिवेदन क्षति के दिनांक से 30 दिवस की समयावधि के भीतर प्रस्तुत करेंगे। देरी (विलंब) से प्रस्तुत आवेदन के साथ प्रत्येक विलंब दिवस का कारण स्पष्ट किया जाना अनिवार्य है। प्रत्येक आवदेन प्रतिवेदन प्राप्ति के बाद पंजीयन तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा राजस्व न्यायालयीन प्रक्रिया हेतु निर्धारित वेब पोर्टल पर 2 दिन में करेंगे। यदि सहायता की राशि तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा में है तो 10 दिन के भीतर सहायता उपलब्ध कराई जायेगी और यदि प्रकरण तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा से अधिक राशि का है, तो यथास्थिति प्रकरण में अनुविभागीय अधिकारी / कलेक्टर/ सभागीय आयुक्त या शासन की स्वीकृति प्राप्त की जायेगी। पीडितो को सहायता राशि आवेदन प्रतिवेदन के 15 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का प्रावधान है। विलंब की स्थिति में संबंधित राजस्व अधिकारी व्यक्तिश उत्तरदायी हैं। 01 माह से अधिक समय तक लंबित प्रकरणों में शासन दोषी राजस्व अधिकारियों पर रुपये 100 प्रति विलंब दिवस की दर से रुपये 25 हजार रुपए से अनधिक शास्ति अधिरोपित कर सकेगा। आर्थिक सहायता आदेश का पुनर्विलोकन आदेश दिनांक से 30 दिवस के भीतर आदेश देने वाले राजस्व अधिकारी द्वारा किया जा सकेगा। आर्थिक सहायता आदेश की अपील उचित वरिष्ठ न्यायालय में, आदेश दिनांक से 30 दिवस के भीतर की जा सकेगी, जिसमें समुचित सुनवाई पश्चात 30 दिवस में निर्णय लिया जाना अनिवार्य होगा, परंतु सहायता राशि के आदेश की द्वितीय अपील नहीं हो सकेगी। आर्थिक सहायता आदेश के मामले में पुनरीक्षण नहीं हो सकेगा। पीडित को सहायता राशि उसके बैंक खाते में सीधे लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) की विधि से प्रदान की जाएगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत फसल क्षति का क्लेम दिया जाता है।
प्राकृतिक आपदा के ऐसे मामले, जिनमें पीडित व्यक्ति, जिसकी झोपडी, मकान या पशुशाला नष्ट हो गई है, उसे झोपड़ी, मकान या पशुशाला बनाने के लिये तहसीलदार द्वारा निःशुल्क 50 बांस एवं 30 बल्ली 15 दिनों के भीतर उपलब्ध कराई जायेंगी। वन डिपो से घर तक ले जाने के लिए एक हजार रूपये परिवहन खर्च भी दिया जाएगा।
लघु एवं सीमांत किसान जिसके पास 2 हेक्टेयर की भूमि हो, को सहायता : कृषि भूमि से गाद निकालना जहां पर रेत या गाद निक्षेप की मोटाई 3 सेंटीमीटर से अधिक है, पर्वतीय क्षेत्र में कृषि भूमि से मलबा हटाना, गाद निकालना या पुनरुद्धार, मछली फार्मो की मरम्मत आदि आदि के लिए लाभार्थी द्वारा अन्य किसी सरकारी योजना के तहत कोई अन्य सहायता या सब्सिडी प्राप्त नहीं की गई है तथा वह उसको प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है इस शर्त के अधीन होगा। उपरोक्त प्रत्येक मद के लिए 18 हजार प्रति हेक्टेयर दी जाएगी। इस राशि में से प्रति किसान न्यूनतम 22 सौ रुपए की सहायता के अधीन है।
भूस्खलन हिमस्खलन नदियों के मार्ग बदलने के कारण हुई पर्याप्त भूभाग की हानि के लिए केवल उन छोटे और सीमांत किसानों को 47 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दी जाएगी, जिनकी भूमि का स्वामित्व राजस्व अभिलेखों के अनुसार वैध है। उपरोक्त राशि प्रत्येक किसान को न्यूनतम पांच हजार रुपए की सहायता के अधीन है।
कृषि बागवानी फसलों, रेशम कीट पालन में सहायता
(इनपुट सब्सिडी जहां पर फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत और उससे अधिक पर) : कृषि फसलों , बागवानी फसलों और वार्षिक बागान फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 8 हजार 500 रुपए वर्षा सिंचित क्षेत्र में दी जाएगी। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम एक हजार रूपये के अधीन है और वह क्षेत्रों तक सीमित है। 17 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर सुनिश्चित सिंचित क्षेत्र में सहायता दी जाएगी। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम दो हजार रूपए के अधीन है। बारहमासी फसलें, एग्रो फोरेस्ट्री (अपने खेतों में वृक्षारोपण) के लिए प्रति हेक्टेयर 22 हजार 500 रुपए सभी प्रकार की बारहमासी फसलों, कृषि वानिकी (स्वयं के खेत में वृक्षारोपण) के लिए और यह सहायता प्रति किसान न्यूनतम दो हजार 500 रुपए की सहायता के अधीन तथा बोए गए क्षेत्र तक सीमित है।
रेशम कीट पालन और उत्पादन में ऐरी, मलबरी, टसर के लिए प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपए, मूंगा के लिए प्रति हेक्टेयर 7 हजार 500 रूपए है। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम एक हजार की राशि के अधीन है और बोए गए क्षेत्र तक सीमित है।
टिड्डी नियंत्रण के लिए पौध संरक्षण रसायनो खरीदी व छिड़काव के लिए स्प्रे उपकरणों के साथ वाहनों ट्रैक्टरों को पानी के टैंकरों को किराए पर लेना और टिड्डी नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आबंटन के हिसाब से दी जाएगी।
सेवाभूमि या देव स्थानी भूमि :
सेवा भूमि या देवस्थानी भूमि का यदि किसी व्यक्ति या पुजारी को वैधानिक पट्टा दिया गया है तो पट्टेदार को आर्थिक सहायता की पात्रता होगी।
खलिहान में रखी या खेत में पड़ी हुई फसल किसी फसलों के प्राकृतिक प्रकोपों से या आग लगने से नष्ट हो जाती है तो उसके लिये आर्थिक सहायता दी जाएगी। जिन किसानों को फसल नष्ट होने पर आर्थिक सहायता दी गई है, उन रकबा क्षेत्रों के फसल के विक्रय की अनुमति नहीं होगी।
पशुपालन : लघु और सीमांत किसानों तथा भूमिहीन पशु मालिकों को सहायता : क्षति के लिए पीड़ित को आर्थिक सहायता देय होगा चाहे यह खातेदार हो या भूमिहीन।
दुधारू पशु भैंस, गाय, उंटनी, याक, मिथुन के लिए 37 हजार 500 रूपए, भेड़, बकरी और सुअर के लिए 4 हजार रूपए। ऊंट, घोड़ा, बैल, भैंसा के लिए 32 हजार रूपए, बछड़ा, गधा, खच्चर/ टट्टू, हेफर के लिए 20 हजार रूपए, मुर्गी के लिए प्रति मुर्गी 100 रूपए देने का प्रावधान है। उपरोक्त पशु-पक्षियों के लिए सहायता आर्थिक रूप से उत्पादक पशुओं के वास्तविक नुकसान तक हो सकती है और यह 3 बड़े दुधारू पशुओं या 30 छोटे दुधारू पशुओं या 3 बड़े गैर-दुधारू पशुओं या 6 छोटे गैर-दुधारू पशुओं की अधिकतम सीमा के अधीन होगी तथा इस बात पर ध्यान दिए बिना प्रदान की जाएगी कि किसी परिवार की भारी मात्रा में पशुओं की क्षति हुई है अथवा नहीं। जानवरों के नुकसान के दावे पर भी तभी विचार किया जाएगा जब छोटे और सीमांत किसानों / भूमिहीन पशुधन मालिकों के स्वामित्व वाले जानवरों की संख्या और प्रकार राजस्व विभाग या पशुपालन विभाग में पंजीकृत हो। पशुओं के बीमा होने की स्थिति में आर्थिक सहायता की राशि प्राप्त बीमा दावे की सीमा तक समायोजित की जाएगी। यदि एवियन इन्फ्लुएंजा अथवा किसी अन्य ऐसी बीमारी जिसके लिए पशुपालन विभाग के पास पोल्ट्री मालिकों की क्षतिपूर्ति हेतु कोई अलग स्कीम है, के कारण पक्षियों (मुर्गियों) का नुकसान हुआ है तो इन मानदण्डों के अंतर्गत राहत की पात्रता नहीं होगी। घर से जुड़ा पशुओं का बाड़ा की क्षति के लिए प्रति शेड 3 हजार रूपए दी जाएगी।
मछली पालन : चारा, नाव तथा जाल हानि के लिए सहायता
बाढ़ व तूफान से प्रभावित मछली पकड़ने वालों की नावों (जो मशीन से संचालित न हो एवं जिनका बीमा न कराया गया हो) डोंगियों, मछली पकड़ने तथा अन्य उपकरणों को हुई हानि के लिए नाव पूर्ण नष्ट होने पर 15 हजार रू., नाव आशिक क्षतिग्रस्त होने पर 6 हजार रू., जाल पूर्ण नष्ट होने पर 4 हजार रू., जाल आंशिक क्षति होने पर 3 हजार रूपए देने का प्रावधान है। छोटे एवं सीमांत किसानों को मछली के चारे हेतु इनपुट सब्सिडी 10 हजार रूपए प्रति हैक्टेयर दी जाएगी। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की योजना के तहत प्रदान की जा वाली एकबारगी सब्सिडी को छोड़कर, यदि लाभार्थी किसी अन्य सरकारी योजना के तहत मौजूदा आपदा के लिए पात्र है या कोई सब्सिडी / सहायता प्राप्त की तो उसे यह सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।
हस्तशिल्प, हथकरघा कारीगरों को सहायता : हथकरघा बुनकरों के औजार एवं उपकरण पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो जाने पर पांच हजार रुपए प्रति कारीगर अनुदान सहायता देय होगी। हथकरघा में उपयोग होने वाला कच्चा माल या निर्माणाधीन माल एवं निर्मित माल नष्ट होने पर पांच हजार रूपए प्रति कारीगर अनुदान सहायता देय होगी । उक्त सहायता खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा प्रमाणित किये जाने पर मान्य होगी ।
आवास के क्षति पर सहायता : क्षतिग्रस्त घर स्थानीय निकाय ( नगरनिगम, नगर पालिका, नगर पंचायत) द्वारा विधिवत प्रमाणित एक अधिकृत निर्माण होना चाहिए।
पूरी तरह से नष्ट हुए घर मैदानी इलाकों में होने पर 1 लाख 20 हजार रूपए प्रति घर एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1 लाख 30 हजार रूपए प्रति घर दी जाएगी। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकान (झोपड़ियों के सिवाय) जहां क्षति कम से
कम 15 प्रतिशत है, उसमें
6 हजार 500 रुपए प्रति पक्का घर और 4 हजार रु. प्रति कच्चा घर दिया जाएगा।
क्षतिग्रस्त या नष्ट हुई झोपड़ियां के लिए सहायता: अस्थाई तौर पर घास-फूस मिट्टी प्लास्टिक की पन्नियो आदि से बनी प्रति झोपड़ी के लिए 8 हजार रुपए दी जाएगी।
शारीरिक अंग हानि के लिए आर्थिक सहायता - प्राकृतिक प्रकोप बाढ़, तूफान, भूकम्प, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, भू-स्खलन के साथ-साथ आकाशीय बिजली गिरने या अग्नि दुर्घटना के कारण यदि किसी व्यक्ति को महत्वपूर्ण अंग की स्थाई स्वरूप की हानि होती है जैसे हाथ पैर या दोनों आंखों की हानि 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक अक्षमता हुई हो तो जिला मेडिकल बोर्ड के रिपोर्ट पर ऐसे पीडित व्यक्ति को 74 हजार रुपए का आर्थिक सहायता कलेक्टर की स्वीकृति पर दी जाएगी। प्राकृतिक प्रकोप या अग्नि दुर्घटना के कारण यदि किसी व्यक्ति के महत्वपूर्ण अंग की स्थाई स्वरूप की हानि होती है जैसे हाथ, पैर या दोनों आखों की हानि 60 प्रतिशत से अधिक अक्षमता हुई हो तो ऐसे पीडित व्यक्ति को दो लाख पचास हजार रुपए की अनुदान सहायता जिला मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर कलेक्टर की स्वीकृति के बाद दी जाएगी।
गहरा जख्म जिसमें अस्पताल में भर्ती होने पर-
प्राकृतिक प्रकोप या अग्नि दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति को गंभीर शारीरिक क्षति होने के कारण एक सप्ताह तक या उससे अधिक अस्पताल में भर्ती रहने पर रूपये सोलह हजार प्रति व्यक्ति आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसी प्रकार पीड़ित के एक सप्ताह से कम अस्पताल में भर्ती रहने पर पाच हजार चार सौ रुपए प्रति व्यक्ति आर्थिक सहायता दी जाएगी। इन पीड़ितों के आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार प्राप्त करने वाले व्यक्ति इस मद के तहत आर्थिक सहायता के लिए पात्र नहीं होंगे। आर्थिक सहायता की राशि वास्तविक व्यय की सीमा के अधीन होगी।
कपड़ों एवं बर्तनों की क्षति के लिए आर्थिक सहायता -
प्राकृतिक प्रकोप या अग्नि दुर्घटना, नहर व तालाब फूटने के कारण मकान पूर्ण नष्ट होने, बह जाने या दो दिन तक जलमग्न रहने पर यदि संबंधित पीड़ित परिवार के दैनिक उपयोग के कपड़े , बर्तन नष्ट होने पर दो हजार पाच सौ रुपए प्रति परिवार सहायता दी जाएगी।
आजीविका नष्ट होने पर -
ऐसे परिवार जिनकी आजीविका का साधन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, को आनुग्राहित राहत आर्थिक सहायता हेतु पीडित परिवार का भूमिहीन होना एवं मनरेगा अथवा श्रम विभाग के अंतर्गत पंजीयन होना आवश्यक होगा। जिन परिवारों की आजीविका गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, ऐसे प्रभावित परिवारों के दो वयस्क सदस्यों को मनरेगा की प्रतिदिन वास्तविक दर या सभी राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों की औसत दर जो भी कम हो, के अनुसार सहायता दी जाएगी।
प्राकृतिक आपदा के इस राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी 6-4 ) के फार्म में प्राकृतिक आपदा का दिनांक व प्रकार, पीडित / मृत व्यक्ति का नाम, उसके पिता/पति का नाम, उम्र, पूरा पता, पीडित व्यक्ति कृषक है अथवा भूमिहीन? यदि कृषक है तो कृषि भूमि का कुल रकबा एवं बोया गया रकबा, फसल की हुई हानि का पूर्ण ब्यौरा, क्षतिग्रस्त / नष्ट हुए घर का कमरों की लंबाई, चौड़ाई और कमरों के उपयोग में लाने का प्रयोजन देते हुए पूर्ण विवरण, क्या पीडित व्यक्ति के पास पशु है? यदि हां तो पशु जिनकी हानि हुई है, उनका पूर्ण विवरण, पूर्ण औचित्य बतलाते हुए, बांस, बल्ली की मांग, उस वन डिपो का नाम जहां से बांस एवं बल्ली, सुविधापूर्वक दिया जा सकता हो, आर्थिक सहायता हेतु बैंक खाता क्रमांक, बैंक का नाम, शाखा, खाताधारक का नाम, आईएफएससी कोड का पूर्ण विवरण, अन्य सरकारी योजना या बीमा सहायता राशि अंतर्गत पात्रतानुसार, पूर्ण औचित्य बतलाते हुए आर्थिक सहायता जो तत्काल दी जानी चाहिए उसका विवरण, अन्य सुसंगत विवरण, आवश्यक पंजीयन, प्रमाणन के दस्तावेज, आवेदक प्रतिवेदक का नाम व हस्ताक्षर और स्वघोषणा पत्र के साथ संबंधित तहसीलदार कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा। विद्युत प्रवाह करंट से मौत वाले केस में विद्युत ऊर्जा विभाग के कार्यालय में आवेदन आर्थिक सहायता के लिए प्रस्तुत करना होगा। आवेदन के साथ इन आरबीसी 6 - 4 के प्रकरणों में तहसीलदार द्वारा कलेक्टर के पास स्वीकृति के लिए प्रकरण भेजी जाती है, जिसमें कोटवार सहित अन्य गवाहों के बयान, पुलिस थाना अंतिम जांच रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र मर्ग इंटीमेशन रिपोर्ट, शव परीक्षण रिपोर्ट आदि संलग्न होती है। राज्य सरकार विपदा में हर पीड़ित परिवारों के साथ सहयोग प्रदान करने के लिए पूरी व्यवस्था की है। जरूरत इस बात की है कि पीड़ित परिवार सरकारी प्रक्रिया को पूरा करे।