20 जुलाई को शुरू होने जा रहे संसद के माॅनसून सत्र अहम होने जा रहा है. केन्द्र सरकार के द्वारा सहकारिता मंत्रालय बनाए जाने के बाद पहली बार माॅनसून सत्र में इससे जुड़ा बिल आने जा रहा है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा 6 जुलाई 2021 को अलग सहयोग मंत्रालय के गठन के बाद सहकारिता के क्षेत्र में कई बदलाव संभव हो गए हैं और भविष्य में भी बदलाव होते रहेंगे. माना जा रहा है कि इन बदलावों के बाद पूरे देश में एकरूपता आ जाएगी.
क्या मकसद है इन बदलावों का
इन संसोधनों को लाने के पीछे सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि व्यापार करने में आसानी लाने के लिए मल्टी स्टेट काॅपरेटिव सोसाइटी (एमएससीएस) पर कानून में संशोधन करने वाला एक विधेयक 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के माॅनसून सत्र में आएगा. ये बात उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस में बोलते हुए कही. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बिल की आवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा कि देश के 26 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने प्राथमिक कृषि लोन समितियों के लिए जो मसौदा बनाया गया था उसे सभी राज्यों ने अपनाया है.
इसका मतलब है कि सितंबर से समूचे देश में इसे लेकर एक जैसे समान उप कानून हो जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक नया सहकारी कानून बनाना चाहती है जो अगले 25 वर्षों में इस क्षेत्र का विस्तार करने में मदद करे. सरकार इस दिशा में एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने की भी योजना बना रही है, जिसके लिए अंतर-मंत्रालयी बातचीत शुरू हो चुकी है.
कई बदलावों की जरूरत थी
दरअसल 6 जुलाई 2021 को सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन कर दिया था. इसके गठन के बाद सरकार के लिए कई बदलाव संभव हो गए थे. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसमें भविष्य में भी बदलाव होते रहेंगे. उन्होंने कहा, सबसे पहले सरकार ने संवैधानिक ढांचे के तहत राज्यों और केंद्र के अधिकारों से छेड़छाड़ किए बिना सहकारी कानून में एकरूपता लाने की कोशिश की गई है. शाह ने कहा, इस अधिनियम में बदलाव का काम सभी की सर्वसम्मति से हुआ है.
कितना है इस मंत्रालय का बजट
केन्द्र सरकार ने सहकारिता मंत्रालय के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में 1,150.38 करोड़ रुपये का कुल बजट परिव्यय किया है. हालांकि, यह राशि वित्त वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान 1,624.74 करोड़ रुपये से कम है.