टैक्स नियमों के मुताबिक कैपिटल गेन की गणना बिक्री की राशि माइनस कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन और कॉस्ट ऑफ इम्प्रूवमेंट के आधार पर होती है। इन दोनों की गणना कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर होती है। इन दोनों कंपोनेंट्स की कॉस्ट जितनी अधिक होगी, टैक्सेबल कैपिटल गेन उतना कम होगा और इस आधार पर टैक्स लगेगा। कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन में मकान की कीमत, रजिस्ट्रेशन फीस और ब्रोकर की फीस शामिल होती है। कॉस्ट ऑफ इम्प्रूवमेंट में कैपिटल एक्सपेंडीचर शामिल होता है जिससे प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ जाती है।
क्या है मामला
एनआरआई कोमल गुरुमुख संगतानी और उनके पति ने आईटीएटी में अपील दायर की थी। यह मामला फाइनेंशियल ईयर 2009-10 से जुड़ा था। संगतानी ने कहा कि फ्लैट को रहने लायक बनाने के लिए उन्हें खर्च करना पड़ा। अमूमन इस तरह के मामलों में पेमेंट कैश में किया जाता है। बेंच ने पाया कि टैक्सपेयर ने कभी भी कोई बिजनस नहीं किया और इस तरह उसका टैक्स ऑडिट करने की जरूरत नहीं है। इस तरह फ्लैट पर कैश में खर्च करने की कोई सीमा नहीं है। टैक्सपेयर ने अपनी इनकम में से कैश पेमेंट किया। हालांकि बेंच ने कहा कि कॉस्ट ऑफ इम्प्रूवमेंट और पर्सनल इफेक्ट्स के खर्च की गई राशि में अंतर है। खर्च की लिस्ट को रिव्यू करने के बाद आईटीएटी ने कहा कि अधिकांश आइटम्स मकान की दीवारों पर लगाए गए हैं और यह फ्लैट का अभिन्न हिस्सा हैं। टैक्सपेयर ने 14.5 लाख रुपये का दावा किया था और आईटीएटी ने 9.7 लाख रुपये के दावे की अनुमति दे दी।संगतानी ने हाउसिंग लोन पर 5.5 लाख रुपये के ब्याज को कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन में शामिल करने का दावा किया था। आईटीएटी ने कहा कि संभवत: टैक्सपेयर ने इस ब्याज का दावा हाउस प्रॉपर्टी से हुई इनकम के तहत किया है और वह कैपिटल गेन की गणना करते समय कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन के रूप में इसका फायदा लेना चाहता है। ट्रिब्यूनल ने इस पहलू को आईटी अधिकारी के पास दोबारा वेरिफिकेशन के लिए भेज दिया।
मकान बेचने पर टैक्स
कोई भी प्रॉपर्टी बेचने से हुए पूंजीगत लाभ पर आपको कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। मकान बेचने से होने वाले लाभ पर दो तरह से टैक्स कैल्कुलेट किया जाता है। अगर आपने मकान दो साल अपने पास रखने के बाद बेचा है तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) माना जाएगा। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 फीसदी का कैपिटल गेन टैक्स लगता है। लेकिन आपने अगर 24 महीने से पहले ही मकान बेच दिया है तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (अल्पकालिक पूंजीगत लाभ) माना जाएगा। अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदने के बाद उसमें कोई सुधार या विस्तार कराया था तो ऐसे खर्चों की इंडेक्स कॉस्ट निकालते हुए इनकम टैक्स में छूट ली जा सकती है। इससे कैपिटल गेन टैक्स का बोझ कम होगा।