अच्छे दाम की उम्मीद में इस साल किसान कॉटन की खूब बुवाई कर रहे हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि इसका भाव कुछ दिनों से लगातार गिर रहा है. इस समय 29 एमएम-कॉटन का भाव (Cotton Price) 42855 रुपये प्रति गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) है. जल्द ही इसे 40,000 रुपये प्रति गांठ के निचले स्तर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. ओरिगो ई-मंडी के रिसर्चरों ने अनुमान लगाया है कि 2022 के आखिर तक कॉटन का भाव 30,000 रुपये प्रति गांठ के नीचे आ जाएगा. देश में 24 मई को इसका भाव अपने सबसे ऊंचे स्तर 48285 रुपये प्रति गांठ तक पहुंच गया था. जबकि कॉटन वायदा का भाव 50,330 रुपये प्रति गांठ की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था. सवाल ये है कि आखिर कॉटन का दाम इतना क्यों गिर रहा है?
कमोडिटी रिसर्चर तरुण सत्संगी का कहना है कि बढ़ती ब्याज दरें, चीन में लॉकडाउन, मंदी की आशंका और भारत में हाल ही में हुई अच्छी बारिश (Rain) के बीच बेहतर बुआई के आंकड़ों के साथ कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. डर हमेशा सेंटीमेंट को खराब करता है और मौजूदा समय में कॉटन समेत अधिकांश कमोडिटीज के साथ यही हो रहा है. दरअसल, मई 2022 की शुरुआत तक कॉटन में ढाई साल की तेजी का दौर खत्म हो चुका था.
कॉटन का रकबा बढ़ने का है अनुमान
चालू खरीफ सीजन में किसान कपास की खेती पर काफी जोर दे रहे हैं. देश में कॉटन का रकबा (Cotton Acreage) 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. चूंकि पिछले दो साल से किसानों को कपास में अच्छा पैसा मिला है और सोयाबीन की कीमतों में आई हालिया तेज गिरावट किसानों को कपास की बुआई करने के विकल्प का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगी.
देश के मुख्य कपास उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिश का अनुमान है. मौसम विभाग के ताजा अपेडट के मुताबिक मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ, तेलंगाना, गुजरात क्षेत्र, सौराष्ट्र एवं कच्छ और कर्नाटक में 14 जुलाई 2022 तक अच्छी बारिश होगी. यह बारिश कपास की बुआई के लिए अच्छी है.
ज्यादातर यूनिटों में जिनिंग, प्रेसिंग का काम बंद
ऊंचे भाव और सप्लाई में कमी की वजह से कॉटन की मांग में कमी दिखाई दे रही है. सप्लाई की कमी की वजह से मई 2022 की शुरुआत में भारत में कॉटन का भाव 50,330 रुपये प्रति गांठ की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. हालांकि कई अहम कारकों की वजह से भारत में कॉटन की मांग में कमी देखने को मिली है. इसका यह असर हो रहा है कि मौजूदा समय में देशभर में 3,500 यूनिटों में से मुश्किल से 6-8 फीसदी जिनिंग और प्रेसिंग का काम कर रही हैं. बाजारों में जब तक कपास की नई फसल की आवक शुरू नहीं हो जाती है तब तक सभी कामकाज ठप रहेंगे.
इंपोर्ट ड्यूटी फ्री कॉटन आयात
शुल्क मुक्त आयात से सितंबर के अंत तक 15-16 लाख गांठ की राहत मिलने का अनुमान है. भारतीय व्यापारियों और मिलों ने शुल्क हटाने के बाद 5,00,000 गांठ कॉटन की खरीदारी की है. 2021-22 के लिए कुल आयात (Cotton Import)अब 8,00,000 गांठ हो गया है. सितंबर के अंत तक अन्य संभावित 8,00,000 गांठ के आयात के साथ 2021-22 के लिए कुल आयात 16 लाख गांठ हो जाएगा. कॉटन के ज्यादातर आयात अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम अफ्रीकी देशों से हैं.