रिजर्व बैंक का डिजिटल रूपी कानूनी मुद्रा होगी. इसे RBI की तरफ से कानूनी मान्यता मिली होगी. यह रुपए का डिजिटल रूप होगा. इसे किसी भी करेंसी से एक्सचेंज किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण दुनियाभर के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की दिशा में काम कर रहे हैं. 2021 में एक सर्वे आया था. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट ने पाया कि दुनिया के 86 फीसदी सेंट्रल बैंक CBDC की दिशा में काम कर रहे हैं. 60 फीसदी बैंक डिजिटल करेंसी की टेक्नोलॉजी के साथ एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, वहीं 14 फीसदी बैंक पायलट प्रोजेक्ट तक पहुंच चुके हैं.
डिजिटल रुपी डिजिटल पेमेंट से कितना अलग होगा?
मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अगर डिजिटल रूपी से पेमेंट किया जाता है तो यह फाइनल सेटलमेंट की तरह होगा. इसमें सेटलमेंट रिस्क नहीं शामिल होता है. आसान शब्दों में जब आप कोई सर्विस या गुड्स खरीदते हैं और कैश पेमेंट करते हैं. यह पेमेंट का फाइनल रूप है. डिजिटल रूपी लॉन्च होने के बाद कैश की जगह डिजिटल रूपी से पेमेंट किया जा सकेगा. यह भी पूरी तरह फाइनल पेमेंट माना जाएगा. डिजिटल रूपी लॉन्च होने के बाद भारत में बैठा व्यापारी अमेरिका और यूरोप के व्यापारियों को डिजिटल डॉलर या डिजिटल पॉन्ड में पेमेंट कर सकता है. यह रियल टाइम पेमेंट होगा और ऐसे ट्रांजैक्शन में किसी इंटरमिडयरी की जरूरत नहीं होगी.
भारत डिजिटल करेंसी को लेकर कितना तैयार है?
बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि रिजर्व बैंक अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रूपी को लॉन्च करेगा. दिसंबर के महीने में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी ने भी एक कार्यक्रम में कहा था कि यह चरणवार तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) अंतिम चरण में है. शुरुआत में इसे होलसेल ट्रांजैक्शन में इस्तेमाल किया जाएगा. बाद में इसे रिटेल सेगमेंट के लिए भी शुरू किया जाएगा.
डिजिटल करेंसी को लेकर क्या खतरा है?
डिजिटल करेंसी के सामने सबसे बड़ी चुनौती टेक्नोलॉजी है. टेक्नोलॉजी के कारण फ्रॉड और स्कैम के मामले बढ़ सकते हैं. खुद गवर्नर शक्तिकांत दास कई मौकों पर कह चुके हैं कि डिजिटल करेंसी के साथ फ्रॉड सबसे बड़ी समस्या है. इसके अलावा इस करेंसी के इस्तेमाल और प्रचलन के लिए पूरे देश में इंटरनेट की अच्छी स्पीड जरूरी है. हाई स्पीड इंटरनेट का इन्फ्रास्ट्रक्चर जब तक तैयार नहीं हो जाता है, डिजिटल करेंसी की सफलता की आशा नहीं की जा सकती है. इसके अलावा अगर किसी देश में टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट कम है तो वहां CBDC की पहुंच और उपयोगिता काफी कम हो जाएगी. रिजर्व बैंक को इस बात की भी चिंता है.
क्या भारत के लिए डिजिटल करेंसी काम की है?
डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर कई बार कह चुके हैं कि सीबीडीसी कैश को रिप्लेस नहीं करेगा. जो लोग कैश का इस्तेमाल करना चाहते हैं वे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. जो लोग कैश का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं वे डिजिटल रूपी का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने इस बात को भी कहा कि जो लोग कैश का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपना नाम जाहिर नहीं होने देना चाहते हैं, उनके लिए यह कठिन होगा. जब तक डिजिटल रूपी के साथ पहचान छिपी रहेगी, वे इसका इस्तेमाल करेंगे.