केला की गिरती कीमतों से किसान परेशान, उन्नत किस्मों पर पड़ी सबसे अधिक मार

परंपरागत फसलों की खेती छोड़ केले की खेती करते हैं किसान

Update: 2022-01-09 15:39 GMT
देश में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. नए संक्रमण के मामले 1 लाख से अधिक आने लगे हैं. इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर मिनी लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे कदमों को उठा रहीं हैं. इससे आवाजाही पर असर पड़ रहा है और आम लोगों के साथ किसान (Farmers) भी प्रभावित हो रहे हैं. केले की खेती (Banana Farming) करने वालों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तो ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित हुआ है, वहीं दूसरी तरफ केले की गिरती कीमतों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है.
कर्नाटक के मैसूर और चिंकमंगलूर जिले में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है. लेकिन भाव गिरने से किसान परेशान हैं. ऊपर से कोरोना को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के कारण स्थिति में सुधार के लिए इंतजार बढ़ सकता है. किसानों को उम्मीद थी कि आने वाले हफ्तों में स्थिति में सुधार हो जाएगी, लेकिन अब और समय लगने का अंदेशा है.
परंपरागत फसलों की खेती छोड़ केले की खेती करते हैं किसान
एलाकी केले की किस्म कर्नाटक के सबसे मशहूर किस्मों में शामिल है. इसकी कीमत कुछ दिनों पहले तक 35 रुपए प्रति किलो थी, लेकिन इसका भाव आधे से ज्यादा गिर गया है. वर्तमान में एलाकी केला 16 रुपए प्रति किलो की दर पर बिक रहा है. अन्य किस्मों की स्थिति भी ऐसी ही है.
किसानों ने बताया कि हमें मिलने वाले भाव और खुदरा बाजार की कीमतों में लगभग दोगुने का अंतर है. मार्केट में व्यापारी एलाकी केला 40 से 50 रुपए प्रति किलो की दर पर बेच रहे हैं जबकि किसानों को सिर्फ 16 रुपए का भाव मिल रहा है.
मैसूर और चिकमंगलूर जिले में करीब 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में केले की खेती होती है. बाजार में अच्छा भाव मिलने के कारण बड़ी संख्या में किसानों ने पारंपरकि फसलों की खेती छोड़कर केले की तरफ रुख किया है. लेकिन फिलहाल उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है.
बीमारी और बेमौसम बरसात ने बढ़ा दी परेशानी
केले की खेती करने वाले महादेवैय्या टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहते हैं कि यह हमारे लिए काफी परेशान करने वाला था कि एलाकी केले का भाव 14-16 रुपए किलो हो गया. वे कहते हैं कि पुराने मैसूर क्षेत्र में बेमौसम बारिश का लंबा दौर चला, इससे उपज की गुणवत्ता प्रभावित हुई है.
चिकमंगलूर के एक किसान मारीस्वामी कहते हैं कि पिछले साल मैसूर में एलाकी केले का भाव 50 रुपए किलो था. लेकिन इस बार वे सिर्फ 13 से 16 रुपए दे रहे हैं जबकि इस फल की मांग काफी ज्यादा है. वे बताते हैं कि मैंने एक एकड़ में केले की खेती के लिए 1.5 लाख रुपए खर्च किए हैं. हालांकि बेमौसम बारिश और सर्दियों के कारण हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बीएल शिवप्रसाद ने बताया कि हमें किसानों से नुकसान की बहुत सूचनाएं मिली हैं. पत्तों पर पीले धब्बे और फंगल के कारण होने वाली बीमारियों से किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं नवंबर में हुई बारिश ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी.
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