कोरोना महामारी में हुआ साइबर क्राइम में इजाफा, सरकार ने जारी की हेल्पलाइन

चोर एक्टिव हो गए हैं. चोर बेखौफ होकर लोगों की निजी और संवेदनशील जानकारियां निकाल कर उनके खातों से पैसे चुरा रहे हैं

Update: 2021-12-31 04:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल ऑनलाइन फ्रॉड के केस आए दिन सुनने में आते हैं. कोरोना महामारी की वजह से लोगों ने कंप्यूटर पर ज्यादा काम करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही डिजिटल पेमेंट का भी प्रचलन काफी बढ़ गया है. ऐसे में ऑनलाइन साइबर चोर एक्टिव हो गए हैं. चोर बेखौफ होकर लोगों की निजी और संवेदनशील जानकारियां निकाल कर उनके खातों से पैसे चुरा रहे हैं.

सरकार ने जारी की हेल्पलाइन
सरकार ने लोगों को जानकारी दी है कि साइबर फ्रॉड में पैसों का नुकसान होने पर, आप हेल्पलाइन नंबर 155260 पर बता सकते हैं. इसके अलावा लोग घर बैठे ऑनलाइन राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
इस तरीके से राजी करते हैं अपराधी
बता दें कि ऐसी घटनाएं में अपराधी ईमेल, चैट रूम, नौकरी की वेबसाइट या ब्लॉग के जरिए आपसे संपर्क करते हैं. ये अपराधी आपको किसी आकर्षक कमीशन के बदले बैंक अकाउंट में पैसे लेने के लिए राजी कर लेते हैं. आपकी मंजूरी मिलने के बाद अपराधी आपके खाते में वो पैसे ट्रांसफर कर देता है.
इस तरह काम करता है हेल्पलाइन सिस्टम
- साइबर फ्रॉड हो जाने पर हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.
- कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की जानकारी नोट करता है, और इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज करता है.
- इसके बाद ये टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है, और ये इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वो बैंक/वॉलेट हैं जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है.
- इस शिकायत के बारे में पीड़ित को एक मैसेज की मदद से सूचित किया जाता है. जिसमें उसकी शिकायत संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करें.
- अब संबंधित बैंक, जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वे अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है.
- अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी मौजूद है, तो बैंक उसे रोक देता है. अगर वो धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है, तो वो टिकट उस अगले बैंक को पहुंचाया जाता है, जहां पैसा चला गया है. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक कि पैसा जालसाजों के हाथों में पहुंचने से बचा नहीं लिया जाता


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