Business : स्वेज नहर संकट से आने वाले दिनों में आयात-निर्यात और महंगा होने की आशंका

स्वेज नहर में हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से आने वाले दिनों में देश का निर्यात-आयात और महंगा हो सकता है। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा शिपिंग कंपनियों ने अभी उस रूट पर काम शुरू नहीं किया है, जिससे आने वाले दिनों में सामान के लाने-ले जाने की लागत पर उसका असर …

Update: 2023-12-26 21:59 GMT

स्वेज नहर में हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से आने वाले दिनों में देश का निर्यात-आयात और महंगा हो सकता है। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा शिपिंग कंपनियों ने अभी उस रूट पर काम शुरू नहीं किया है, जिससे आने वाले दिनों में सामान के लाने-ले जाने की लागत पर उसका असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। यहां कामकाज सामान्य होने में अभी एक महीने का समय और लग सकता है।

उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक जिन शिपिंग कंपनियों ने इस रूट का बहिष्कार दिया था उन्होंने अभी भी उन्होंने लाल सागर पर काम करना शुरू नहीं किया है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल इस मार्ग पर काम करने वाली प्रमुख सात कंपनियों ने यह तय नहीं किया है कि काम कब से शुरू करेंगी। कंपनियों की तरफ से इस बारे में जल्द ही ऐलान किए जा सकते हैं लेकिन हालात पूरी तरह से सामान्य होने में कुछ और हफ्तों का समय लग सकता है।

फिलहाल संबंधित 26 देशों की तरफ से इस रूट पर निगरानी बढ़ा दी गई है। इसका असर अभी भी बना हुआ है और वैकल्पिक रूट से होने वाले परिवहन के एवज में कारोबारियों को लागत बढ़ने की आशंका है, जिसका खामियाजा भी सामने आना तय है।

इस संकट की वजह से विशेषज्ञ अब एक बार फिर इस बात की वकालत करने लगे हैं कि भारत को लाल सागर से गुजरने वाले प्रमुख मार्ग बाब-अल-मंडेब जलसंधि पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए समुद्र में वैकल्पिक व्यापार मार्गों की तलाश करने की जरूरत है।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव यानी जीटीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के साथ देशों के व्यापार को किसी भी प्रभाव से दूर रखने के लिए भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह जैसे वैकल्पिक मार्ग विकसित करने होंगे।

दरअसल, यमन के हूती विद्रोहियों के हालिया हमलों से भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग बाब-अल-मंडेब जलसंधि के आसपास के हालात खराब हो गए हैं। यह लाल सागर और स्वेज नहर के जरिये भूमध्य सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाला अहम समुद्री व्यापार मार्ग है।

लागत वृद्धि और सुरक्षा जोखिम का सामना करना पड़ रहा

रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक कंटेनर यातायात के 30 प्रतिशत हिस्से के लिए अहम इस जलसंधि क्षेत्र में अलग-अलग घटनाओं की वजह से तनाव बढ़ गया है। ऐसे में इस समुद्री व्यापार मार्ग पर अधिक निर्भर भारत को लागत में वृद्धि और सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।

इस मार्ग के बंद होने से यूरोप और भारत एवं समूचे एशिया के बीच एक अहम व्यापारिक संबंध टूट गया है। यूरोप जाने वाले जहाजों को अब अफ़्रीका के निचले सिरे पर स्थित 'केप ऑफ गुड होप' से होकर काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा।

यात्रा की दूरी 40 प्रतिशत बढ़ी

इस बदलाव से यात्रा की दूरी 40 प्रतिशत बढ़ जाती है, जिससे समय और लागत दोनों बढ़ जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने कच्चे तेल, एलएनजी आयात और पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के साथ व्यापार के लिए बाब-अल-मंडेब जलसंधि पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में कोई भी गतिरोध भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर असर डाल सकता है।

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