बिहार में किया गया कृषि ड्रोन का सफल परीक्षण
देश में कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश में कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. ड्रोन खरीद के लिए 100 फीसदी की सब्सिडी तक दी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए खुद भी आगे आ रहे हैं. उन्होंने 100 किसान ड्रोन योजना का उद्घाटन किया. इतना ही नहीं देश के कई राज्यों में ड्रोन के इस्तेमाल का डेमो किसानों को दिखाया जा रहा है. इसी क्रम में बिहार के बक्सर जिले में भी किसानों ने ड्रोन से छिड़काव का सफल परीक्षण किया. इसके बाद किसान काफी उत्साहित दिखे.
बक्सर जिले के चौसा गांव के गोसाईंपुर गांव में किसानो ने ड्रोन का प्रयोग किया. इस दौरान खेतों में यूरिया और कीटनाशक का छिड़काव किया गया. माना जा रहा है कि कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल से भारतीय कृषि में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा. खेती के तौर तरीके बदल जाएंगे क्योंकि उसके बाद ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ खाद और कीटनाशकों के छिड़काव तक सीमित नहीं रहेगा. ड्रोन के इस्तेमाल से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
कृषि ड्रोन के इस्तेमाल के फायदे
दैनिक भास्कर के अनुसार ड्रोन एक्सपर्ट राधेश्याम सिंह बताते हैं कि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को परंपरागत कृषि तकनीक से छुटकारा मिल जाएगा. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसानों के समय की बचत होगी. क्योंकि ड्रोन के इस्तेमाल से बड़े क्षेत्रफल में बहुत कम समय में कीटनाशक, दवा और उर्वरकों का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है. ड्रोन से छिड़काव करने पर मात्र 20 मिनट में साढ़े तीन एकड़ जमीन पर दवाओं का स्प्रे किया जा सकेगा. जिसे अगर हाथ से स्प्रे किया जाए तो दिन भर का समय लग जाएगा.
सटीक तरीके से छिड़काव करता है ड्रोन
ड्रोन में दवा, कीटनाशक या उर्वरक भरने के लिए 10 लीटर की टंकी होती है. छिड़काव करने के बाद अगर टंकी खाली होती है तो ड्रोन खुद से वापस आकर टंकी को दोबारा भर सकती है जिस जगह से पहली बार टंकी भरी गई थी. फिर ड्रोन उसी जगह से छिड़काव शुरू करेगा जहां पर टंकी खाली हुई थी और उसने छिड़काव करना बंद किया था. इसमें एक सेंटीमीटर का अंतर नहीं आता है.
किसानों को होगा आराम
ड्रोन से छिड़काव करने पर किसानों को शारीरिक मेहनत से मुक्ति मिलेगी. इस दौरान किसी पेड़ के नीचे या छाया वाली जगह पर आराम से बैठकर ड्रोन को ऑपरेट कर पाएगा. साथ ही इसका एक फायदा यह होगा की स्प्रे मशीन से छिड़काव के दौरान जो हानिकारक तत्व उड़कर स्प्रे करने वाले के शरीर अथवा सांस के जरिए शरीर के अंदर जाते थे, उससे मुक्ति मिलेगी. किसानों को खेतों के अंदर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे उन्हें कीड़े मकोड़े काटने का खतरा नहीं रहेगा और खेत में घुसने पर जो पौधों के टूटने का खतरा रहता हो वो भी नहीं रहेगा.
ड्रोन खोलेगा रोजगार के द्वार
रोजगार के तौर पर ड्रोन के फायदे देखें तो आने वाले समय में किसान 200-300 रुपए प्रति एकड़ की दर से अपने खेतों में छिड़काव कराएंगे. ड्रोन से छिड़काव का प्रशिक्षण लेने वालों के लिए यह रोजगार का अवसर देगा. मेट्रिक पास 18 वर्ष का युवक ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण ले सकता है इसके बाद वह इसे रोजगार के विकल्प के तौर पर अपना सकता है. देश की कई संस्थाएं इसका प्रशिक्षण देतीं है खास कर महिलाओं को इसमें विशेष मौका दिया जा सकता है. इतना नहीं एग्रीकल्चर स्नातक छात्रों को कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने के लिए भी सरकार 40-100 फीसदी तक की सब्सिडी देती है.