छत्तीसगढ़

सहायक संचालक विवादों में घिरे, कमेटी ने 10 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी

Shantanu Roy
28 March 2024 2:15 PM GMT
सहायक संचालक विवादों में घिरे, कमेटी ने 10 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी
x
छग
बिलासपुर। स्वयंभू DEO (सहायक संचालक) के आर डहरिया की मुश्किलें बढ़ गयी है। भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार और नाफरमानी के मामले में संयुक्त संचालक बिलासपुर ने केआर डहरिया के खिलाफ जांच बैठा दी है। बिलासपुर के संयुक्त संचालक ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट तलब की है। जिन अधिकारियों की टीम बनायी गयी है, उनमें बिलासपुर संयुक्त संचालक कार्यालय के सहायक सहायक मुकेश मिश्रा, पाली के बीईओ श्यामानंद साहू और मोंगरा के प्राचार्य एस डिंडौरे शामिल हैं। संयुक्त संचालक ने निर्देश दिया है कि जांच दल प्रकरण की जांच बिंदूवार कर जांच प्रतिवेदन 10 दिन के भीतर मांगी गयी है।
सहायक संचालक डहरिया पर पिछले दिनों गंभीर आरोप लगा था। उन्होंने दो-दो त्यागपत्र दे चुके शिक्षकों की पुनः नियुक्ति का आदेश जारी किया था। ये आदेश उन्होंने तब जारी कर दिया था, जबकि डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू उस वक्त डीईओ के प्रभार में थे। जब इस मामले में केआर डहरिया से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, उन्होंने जल्दबाजी में हस्ताक्षर कर दिया था। लेकिन अब एक और कारगुजारी सामने आयी है, जिसमें 6 मार्च 2024 को भी डहरिया ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इसी तरह से शिक्षक को रिलीव किया था।
जिला शिक्षा अधिकारी गोवर्धन प्रसाद भारद्वाज के निलंबन के बाद कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू को प्रशासनिक व्यवस्था के तहत जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया था। के आर डहरिया (मूल पद व्याख्याता) ने स्वयं को जिला शिक्षा अधिकारी घोषित कर एक ऐसा आदेश किया है जिसमे पूर्व में त्यागपत्र दिए हुए एक शिक्षक को दुबारा कार्यभार ग्रहण की बात लिखी हुई है। विषय यह है कि इस तरह का तकनीकी त्यागपत्र में कार्यभार पुनः ग्रहण करने का आदेश वही अधिकारी निकाल सकता है जिसके पास डीडीओ पावर होता है वो भी अपने उच्च अधिकारियों की सहमती लेकर ही वह आदेश कर सकता है। परंतु के आर डहरिया ने बिना किसी से सहमति लिए ऐसा कृत्य किया है।
सहायक संचालक का अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी करना…और वो भी एक नहीं दो-दो …कई तरह के संदेह को पैदा करता है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि किसी अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र का ही पता ना हो, ये कैसे संभव है? कई लोगों इसमें पैसे के लेनेदेन की बात भी कह रहे हैं, हालांकि खुद सहायक संचालक इससे इनकार कर रहे हैं। लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई मौके आये हैं, जब सहायक संचालक डहरिया की कार्यशैली सवालों में रही है। दुर्व्यवहार से लेकर कई तरह के निर्देशों को लेकर शिक्षक संगठन इनकी शिकायत भी कर चुके हैं।
जिले के शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज के निलंबन के पश्चात इसी विभाग में सहायक संचालक के रूप में संलग्न के आर डहरिया जिनका मूल पद व्याख्याता का है, जो स्वयं को प्रभारी प्राचार्य जैसा पद बताकर शासन स्तर से सहायक संचालक का आदेश करवा विवादो के साथ यथावत स्थापित है। पिछले वर्ष हुए सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पदांकन में इन्होंने जो मनचाहे जगह पर पोस्टिंग की पर्चियां सील मुहर और हस्ताक्षर के साथ बांटी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर अवगत कराया था। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय ने डहरिया की दो वेतन वृद्धि तक रोकने का आदेश किया था।कुछ दिन पूर्व के आर डहरिया ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक तानाशाही आदेश निकलकर सभी को प्रभावित किया, जिस पर लिपिकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए, कलेक्टर एवं लोक शिक्षण संचलालय तक इसकी शिकायत कर दी थी। जिसकी जांच हेतु कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को जांच अधिकारी बनाकर जांच शुरू कर दी है,परंतु डहरिया अपने कृत्यों से अब भी बाज नही आ रहे।
Next Story